Monday, February 8, 2021

Honour Killing I HindiPoetry |PoemNagari

क्या कविता अनामिका जी द्वारा लिखित है ।

मीरारानी तुम तो फिर भी खुशकिस्मत थीं,


तुम्हे जहर का प्याला जिसने भी भेजा,


वह भाई तुम्हारा नहीं था,

भाई भी भेज रहे हैं इन दिनों


जहर के प्याले!

कान्हा जी जहर से बचा भी लें,


कहर से बचायेंगे कैसे!

दिल टूटने की दवा


मियाँ लुकमान अली के पास भी तो नहीं होती!

भाई ने जो भेजा होता


प्याला जहर का,


तुम भी मीराबाई डंके की चोट पर


हंसकर कैसे ज़ाहिर करतीं कि


साथ तुम्हारे हुआ क्या!

"राणा जी ने भेजा विष का प्याला"


कह पाना फिर भी आसान था,

"भैया ने भेजा"- ये कहते हुए


जीभ कटती!

कि याद आते वे झूले जो उसने झुलाए थे


बचपन में,


स्मृतियाँ कशमकश मचातीं;


ठगे से खड़े रहते


राह रोककर

सामा-चकवा और बजरी-गोधन के सब गीत :


"राजा भैया चल ले अहेरिया,


रानी बहिनी देली आसीस हो न,


भैया के सिर सोहे पगड़ी,


भौजी के सिर सेंदुर हो न..."

हंसकर तुम यही सोचतीं-


भैया को इस बार


मेरा ही आखेट करने की सूझी?


स्मृतियाँ उसके लिए क्या नहीं थीं?

स्नेह, सम्पदा, धीरज-सहिष्णुता


क्यों मेरे ही हिस्से आई,

क्यों बाबा ने


ये उसके नाम नहीं लिखीं?

Monday, February 1, 2021

You Okay ?| Story Telling |PoemNagari

आखिर इतनी बेचैनी क्यो होती है कभी-कभी .... सारी बाते भुल कर हम वही , जो पहले नही होना चाहिऐ था उसी को दुहराने को इतनी आतुर क्यो हो जाते  है ,शायद यह वही समय होता है जब हमे थोडे पल रुक कर अपने आप को बहुत सावधानी से जानने की जरुरत होती है और उन अनजान बेचैनीयो को समझने की भी ....
                                  इस बावरे और भोले भाले मन से जानने की कोशिश करते है कि अरे भाई  आखिर ये तू क्या दुहराने को तत्पर है ,अगर यही सही है तो ठीक है बेहिचक आगे बढो ... मगर यदि यह ठीक नही ...तो फिर क्यो ! बस इतनी सी बात मन समझ जाऐ तो हम एक नऐ सम्भावा की खोज कर सकेगे ,नही तो बहुत बडी बोझ का सामना करना पड सकता है ... ये तो हुई समझदारी की बात ....लेकिन जब हम स्वभावतः कुछ ऐसा कर देते है जो औरो को ठेस पहुचाती है तो उससे कैसे बाहर निकले ,मन खुद को कोसने लगता है जब कोई समाधान नही दिखता है ,तो एक बैचैनी मन को मलिन कर देती है ...परन्तु दिल जानता है कि मैने जान-बुझकर ऐसा नही किया. ...लेकिन जो किया वह गलत नही था इस बात को कैसे समझाऐ , कैसे उनके नजरो को अपने नजरिया का एहसास दिलाऐ ,तब बहुत कठीन हो जाता है खुद को रख पाना किसी के  सामने ...हम एक दुसरे को समझ ही नही पाते है और ये दुरियाॅ बढती जाती है ....यही पर उस भगवान के  करिशमा का साक्षात्कार भी होता है -

 "बिना किसी सवाल- जबाब ,जब हमे अपनी-अपनी गलतीयो का स्वतः आभास हो जाता है और हम फिर से एक हो जाते है "

जो जीवन ना बन सका ! || That Could Not Be Life ! || PoemNagari || Hindi Kavita

कविता का शीर्षक - जो जीवन ना बन सका ! Title Of Poem - That Could Not Be Life ! खोखले शब्द  जो जीवन ना बन सके बस छाया या  उस जैसा कुछ बनके  ख...