Monday, July 26, 2021

आहट सी कोई आए तो लगता है कि तुम हो|Jan Nisar Akhtar|Urdu shayari|Hindi Poetry|NarratedbyKishor |PoemNagari

Jan Nisar Akhtar (18 February 1914 – 19 August 1976) was an Indian poet of Urdu ghazals and nazms, and a part of the Progressive Writers' Movement, who was also a lyricist for Bollywood.

आहट सी कोई आए तो लगता है कि तुम हो,
साया कोई लहराए तो लगता है कि तुम हो,

जब शाख़ कोई हाथ लगाते ही चमन मे
शरमाएं लचक जाए तो लगता है कि तुम हो,

संदल से महकती हुई पुर-कैंफ़ हवा का,
झोंका कोई टकराए तो लगता है कि तुम हो,

ओढ़े हुए तारों की चमकती हुई चादर,
नदी कोई बल खाए तो लगता है कि तुम हो,

जब रात गए कोई किरण मेरे बराबर,
चुपचाप से सो जाए तो लगता है कि तुम हो।

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