Thursday, July 15, 2021

सूत-पुत्र किस तरह चला पायेगा कोई राज?'|रश्मिरथी|Part-05 |Rashmirathi|Ramdhari Singh Dinkar|PoemNagari

अभी तक आपने सुना कि जब भरी सभा में कर्ण को उसकी सुत जाति को लेकर  नीचा दिखाया जाता है और कृपाचार्य द्वारा अर्जुन को एक क्षत्रिय बता कर उसे लड़ने की योग्यता किसी राज्य के एक राजा की होनी चाहिए ,ऐसे वैसे लोगों की नहीं, ऐसी बातें कही जाती है तो  इन सभी बातों से क्रुद्ध हो सुर्योधन  आगे आता है और कर्ण को अंग देश का राजा भरी सभा में घोषित करता है , सुर्योधन के इस सम्मान से कर्ण भावुक हो उठता है -
अब आगे की कहानी सुनिए -




'भरी  सभा के बीच आज तूने जो मान दिया है,

पहले-पहल मुझे जीवन में जो उत्थान दिया है।

उभरीऋण भला होऊँगा उससे चुका कौन-सा दाम?

कृपा करें दिनमान कि आऊँ तेरे कोई काम।'

घेर खड़े हो गये कर्ण को मुदित, मुग्ध पुरवासी,

होते ही हैं लोग शूरता-पूजन के अभिलाषी।

चाहे जो भी कहे द्वेष, ईर्ष्या, मिथ्या अभिमान,

जनता निज आराध्य वीर को, पर लेती पहचान।

लगे लोग पूजने कर्ण को कुंकुम और कमल से,

रंग-भूमि भर गयी चतुर्दिक् पुलकाकुल कलकल से।

विनयपूर्ण प्रतिवन्दन में ज्यों झुका कर्ण सविशेष,

जनता विकल पुकार उठी, 'जय महाराज अंगेश।

कर्ण की इस प्रकार जय-जय कर सुन भीम अपने आपा से बाहर आ जाता है -

'महाराज अंगेश!' तीर-सा लगा हृदय में जा के,

विफल क्रोध में कहा भीम ने और नहीं कुछ पा के।

'हय की झाड़े पूँछ, आज तक रहा यही तो काज,

सूत-पुत्र किस तरह चला पायेगा कोई राज?'

भीम की इस बात से दुर्योधन फिर भीम को फटकार लगाता है -


दुर्योधन ने कहा-'भीम ! झूठे बकबक करते हो,

कहलाते धर्मज्ञ, द्वेष का विष मन में धरते हो।

बड़े वंश से क्या होता है, खोटे हों यदि काम?

नर का गुण उज्जवल चरित्र है, नहीं वंश-धन-धान।

'सचमुच ही तो कहा कर्ण ने, तुम्हीं कौन हो, बोलो,

जन्मे थे किस तरह? ज्ञात हो, तो रहस्य यह खोलो?

अपना अवगुण नहीं देखता, अजब जगत् का हाल,

निज आँखों से नहीं सुझता, सच है अपना भाल।

कृपाचार्य आ पड़े बीच में, बोले 'छिः! यह क्या है?

तुम लोगों में बची नाम को भी क्या नहीं हया है?

चलो, चलें घर को, देखो; होने को आयी शाम,

थके हुए होगे तुम सब, चाहिए तुम्हें आराम।'

रंग-भूमि से चले सभी पुरवासी मोद मनाते,

कोई कर्ण, पार्थ का कोई-गुण आपस में गाते।

सबसे अलग चले अर्जुन को लिए हुए गुरु द्रोण,

कहते हुए -'पार्थ! पहुँचा यह राहु नया फिर कौन?


आज के लिए बस इतना ही,
आगे की कहानी अगले भाग में,
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