# एक रहस्मयी सुबह

जब मेरी आंखे खुली फिर मैने देखा- एक तरफ मेरा मोबाइल तो दूसरी ओर मेरा हेडफोन पड़ा था ,,
मुझे कुछ ऐसा लगा जैसे कि बहुत सारी उलझने सुलझ गई हो , मानो जैसे वर्षों के मुसीबतो से एक पल में छुटकारा हो गया हो,अथाह अनसुलझी बेचैनियो का अंत हो गया हो ,यह अनुभव बहुत ही सुखद और मनभावन था, पहली बार ऐसा लगा जैसे कि मै अपनी सांसे अपनी मर्जी से पा रहा हूं ,
किसी अज्ञात अंधकार में उलझे रूह को रूहानी अनुभव हो रहा हो,फिर मुझे ख्याल आया आखिर अब तक मै बेमतलब की बेचैनियो में क्यों उलझा रहा ,,,,
फिर बहुत ही सहजता से मैंने देखा उन सभी कारणों को तो पता चला मेरा मन मेरे ही विरूद्ध वर्षों से ,मुझसे ही काम करते आ रहा है ... अदृश्य ताकते जो दिखती हो नहीं है पर मौजूद हमेशा रहती है, तभी तो हमे कभी अच्छा तो कभी बुरा अनुभव होता है, जब हमारी भावनाएं सुखद होती है तो हमें सारी दुनिया खूबसूरत लगती है ,हमे अपने आसपास के लोगों के लिए करूणा , प्रेम और संवेदना महशुस करते हैं ,,,,
परंतु जब यह हमारे खिलाफ काम करता है तो हमारी बैचैनी, दुःख, असहजता और विनाश का कारण कोई दूसरा नहीं स्वयं हम ही होते है ,,,,,
आखिर कोई भला क्यों चाहेगा की उसका ही मन उसके विरुद्ध काम करे !!
तो इसका जवाब यह है कि जब हम अपनी भावनाओं के सुख और दुःख का कारण दूसरे को समझने लगते हैं,तब हम अपनी स्वाभाविक गुण- क्षमा ,दया ,करूणा और समर्पित को भूल जाते हैं,इस शरीर के नश्वरता का ख्याल गुम हो जाता है , ,,,,
हमे इस शरीर और मन के अद्भूत और रहस्यमई शक्तियां का उपयोग मानवता के विकास और जीवन के अलग अलग आयाम को जीने और जानने के लिए करनी चाहिए,,,
यह रहस्यमई अनुभव वास्तव में बहुत खास रही ,हम जाने अनजाने में हमारे आस पास बेमतलब के नासमझी से भरे बहुत सारी चीजे देखते और सुनते रहते हैं - जंहा एक तरफ सारी दुनिया Technology और Information के विकास से आसान बनती जा रही है तो दूसरे तरह नासमझी Misinformation के दुषपरिणाम भी देखने को मिल रहे है ;
और हा मेरे रहस्यमई और सुखद सुबह का भी राज यही था कि मैं उस दिन बेमताब के सूचनाओं को भूल गया था ,
और जीवन को अनुभव कर रहा था....
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