Friday, July 17, 2020

# महामारी # Covid-19

# महामारी # Covid-19
ऐसा विश्वव्यापी नरसंहार का दृश्य मानव विकास के  इतिहास में कभी भी देखने को नहीं मिला है,जितनी निस्ठुरता और निर्ममता से ये लोगों के प्राणों की बलि  ले रही है, जैसे मानो की साक्षात महाकाल इस कलयुग के बिनाश को तत्पर हो,मानव अपने प्राणों के रक्षा के लिए विवश है, लाखों जीवन भस्म हो गए और ये संख्या कई गुणा के रफ्तार से बढ़ती जा रही है कब और कहां थमेगी इसका कोई अनुमान लगा पाना अभी तक संभव नहीं हो सका है ,मानव विकास चांद, सूरज और सौर मंडल के कई ग्रहो तक पहुंच चुका है पर मानव अस्तित्व पर ख़तरा बनी ये महामारी , इंसान और अज्ञात की दूरी को बनाए हुए है,,
#Poem # महामारी # Covid-19
प्राण संकट में पड़ा,
प्रतिपल ये जीवन ले रहा,
चुनौतियां अपार है
चरम सीमा पर काल है
अदृश्य और विकराल है
संपूर्ण धारा पर  हाहाकार है 
 मानव  हुआ लाचार है
बढ़ता जा रहा प्रहार है
प्रतिकार, प्रतिकार, प्रतिकार है
महामारी का ये मार है ।
,,,, 
इस पृथ्वी पर मौजूद Flora और Fauna के साथ बहुत सारे जीवन सहित और जीवन रहित विविधताओं की उपस्थिति का अपना अपना महत्त्व है या फिर ऐसा कहे की इन सबका सम्मिलित रूप ही हम है , जीवन का निर्माण और विकास इन्हीं सभी का सुनियोजित प्रबन्धन है ,जब मानव स्वयं को  सबसे समझदार प्राणी की श्रेणी  रखता है तो यह नहीं भूलना चाहिए कि इस पृथ्वी पर जितना उसकी मौजूदगी अनिवार्य है बिल्कुल उतना ही अन्य प्राणियों का भी होना अनिवार्य है,,,
इस चुनौतीपूर्ण परिस्थिति में एक तरफ इंसान अपने मौजूदा स्थिति से निपटने में परेशान है और घर से निकाल पाना भी दूभर हो रहा है तो दुसरी ओर प्रकृति में मौजूद दुसरे जीव जंतु , पंक्षी और पेड़ पौधे बहुत तेजी से फल फूल रहे है,,,
अभी सारा देश आर्थिक मंदी के दौर से गुज़र रहा है,इस समय खुद को जीवित रख पाना ही सबसे बड़ा सम्पत्ति है,,,विकास की पहिया रुक गई हैं अब मानव विकास देश ,रंग रूप , जाति, सम्प्रदाय के आधार से नहीं बल्की सम्पूर्ण पृथ्वीवासियों के  जीवन विकास से जुड़ी हो गई है,इस असंख्य ब्रह्माण्ड में एक कण से सामान हमारी पृथ्वी और इस पर रहने वाले हम लोग समन्वय और सद्भभाव के साथ एक जुट होकर जरूर इस समय से भी उबर जाएंगे,मानव विकास की श्रृंखला देखी जाए तो पता चलता है हम बहुत सारे विषम परिस्थितियों होने पर भी साहस और उम्मीद के साथ बढ़ते रहे है।



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