Wednesday, October 21, 2020

Aphvah Hai Ya Sach Hai |Ye Koe Nahi Bola |HindiPoetry |Dushyant Kumar |PoemNagari


यह कविता दुष्यंत कुमार द्वारा लिखित है ।

अफ़वाह है या सच है ये कोई नही बोला

                        

अफ़वाह है या सच है ये कोई नही बोला


मैंने भी सुना है अब जाएगा तेरा डोला

इन राहों के पत्थर भी मानूस थे पाँवों से


पर मैंने पुकारा तो कोई भी नहीं बोला

लगता है ख़ुदाई में कुछ तेरा दख़ल भी है


इस बार फ़िज़ाओं ने वो रंग नहीं घोला

आख़िर तो अँधेरे की जागीर नहीं हूँ मैं


इस राख में पिन्हा है अब भी वही शोला

सोचा कि तू सोचेगी, तूने किसी शायर की


दस्तक तो सुनी थी पर दरवाज़ा नहीं खोला

No comments:

Post a Comment

जो जीवन ना बन सका ! || That Could Not Be Life ! || PoemNagari || Hindi Kavita

कविता का शीर्षक - जो जीवन ना बन सका ! Title Of Poem - That Could Not Be Life ! खोखले शब्द  जो जीवन ना बन सके बस छाया या  उस जैसा कुछ बनके  ख...