This Poem Is Written By Indian Youth Poet Er.Vikram Sagar
तुम कैसे हो?
तुम बताओ अभी भी वैसे हो
या कुछ बदले हो
बात करते हुए उंगलियों को दबाते हो
या आंख मिला कर बतियाते हो
अजनबी के संग शर्माते हो
या नजरे मिलाए मुस्कुराते हो
अभी भी वैसे हो
या कुछ बदले हो
दिल के राज सब को बतलाते हो
या कुछ दर्द अपने दिल में भी छीपाते हो
मनमौजी बन हर जगह घूमते हो
या संभल संभल कर कदम बढ़ाते हो
तुम बताओ अभी भी वैसे हो
या कुछ बदले हो
दिल की बात गुनगुनाते हो
या गाकर सबको सुनाते हो
सिर्फ दोस्ती का किस्सा बताते हो
या साथ भी निभाते हो
बड़े सपने के पीछे दौड़ते हो
या छोटे सपनों को भी जिते हो
तुम कैसे हो अभी भी वैसे हो
या कुछ बदले हो
रात से अभी भी रूठे हो
या चांद से बातें करते हो
बरसात से अभी भी ख़फा हो
या बारिश में भी कभी भींगते हो
हमें सच में भुला दिए हो
या याद अभी भी करते हो
माना की मजबूरी है
पर दिल ने कई बारी पूछी है
कि तुम कैसे हो ?
बदले हो या वैसे हो
तुम कैसे हो?. ...
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