Monday, September 28, 2020

|Vardan Maangunga Nahi | HindiPoetry |PoemNagari | Shivmangal Singh Suman

प्रस्तुत कविता शिवमंगल सिंह 'सुमन' जी द्वारा लिखित है।

शिवमंगल सिंह 'सुमन' (1915-2002) एक प्रसिद्ध हिंदी कवि और शिक्षाविद थे। उनकी मृत्यु के बाद, भारत के तत्कालीन प्रधान मंत्री ने कहा, "डॉ. शिव मंगल सिंह 'सुमन' केवल हिंदी कविता के क्षेत्र में एक शक्तिशाली चिह्न ही नहीं थे, बल्कि वह अपने समय की सामूहिक चेतना के संरक्षक भी थे। उन्होंने न केवल अपनी भावनाओं का दर्द व्यक्त किया, बल्कि युग के मुद्दों पर भी निर्भीक रचनात्मक टिप्पणी भी की थी ।


वरदान माँगूँगा नहीं 

 यह हार एक विराम है

जीवन महासंग्राम है

तिल-तिल मिटूँगा पर दया की भीख मैं लूँगा नहीं ।


वरदान माँगूँगा नहीं ।।

स्‍मृति सुखद प्रहरों के लिए


अपने खण्डहरों के लिए


यह जान लो मैं विश्‍व की सम्पत्ति चाहूँगा नहीं ।


वरदान माँगूँगा नहीं ।।




क्‍या हार में क्‍या जीत में


किंचित नहीं भयभीत मैं


संघर्ष पथ पर जो मिले यह भी सही वह भी सही ।


वरदान माँगूँगा नहीं ।।

लघुता न अब मेरी छुओ


तुम हो महान बने रहो


हृदय की वेदना मैं व्‍यर्थ त्‍यागूँगा नहीं ।


वरदान माँगूँगा नहीं ।।

चाहे हृदय को ताप दो


चाहे मुझे अभिशाप दो


कुछ भी करो कर्त्तव्य पथ से किन्तु भागूँगा नहीं ।


वरदान माँगूँगा नहीं ।।

No comments:

Post a Comment

जो जीवन ना बन सका ! || That Could Not Be Life ! || PoemNagari || Hindi Kavita

कविता का शीर्षक - जो जीवन ना बन सका ! Title Of Poem - That Could Not Be Life ! खोखले शब्द  जो जीवन ना बन सके बस छाया या  उस जैसा कुछ बनके  ख...