Monday, November 16, 2020

Kalidas Sach-Sach Batalana| HindiPoetry|Nagarjun |PoemNagari

प्रस्तुत कविता नागार्जुन जी द्वारा लिखित है।



कालिदास! सच-सच बतलाना


इन्दुमती के मृत्युशोक से


अज रोया या तुम रोये थे?


कालिदास! सच-सच बतलाना!

शिवजी की तीसरी आँख से


निकली हुई महाज्वाला में


घृत-मिश्रित सूखी समिधा-सम


कामदेव जब भस्म हो गया


रति का क्रंदन सुन आँसू से


तुमने ही तो दृग धोये थे


कालिदास! सच-सच बतलाना


रति रोयी या तुम रोये थे?

वर्षा ऋतु की स्निग्ध भूमिका


प्रथम दिवस आषाढ़ मास का


देख गगन में श्याम घन-घटा


विधुर यक्ष का मन जब उचटा


खड़े-खड़े तब हाथ जोड़कर


चित्रकूट से सुभग शिखर पर


उस बेचारे ने भेजा था


जिनके ही द्वारा संदेशा


उन पुष्करावर्त मेघों का


साथी बनकर उड़ने वाले


कालिदास! सच-सच बतलाना


पर पीड़ा से पूर-पूर हो


थक-थककर औ' चूर-चूर हो


अमल-धवल गिरि के शिखरों पर


प्रियवर! तुम कब तक सोये थे?


रोया यक्ष कि तुम रोये थे!

कालिदास! सच-सच बतलाना!

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