Monday, June 7, 2021

Jiwan-Mantra || Short videos Series ||Part-02 ||Kabir Das ||PoemNagari

यह जो शरीर है वह विष यानी ज़हर से भरा हुआ है और गुरु अमृत की खान हैं। 
अगर अपना शीश यानी सर को भी देने के बदले में आपको कोई सच्चा गुरु मिले तो भी ये सौदा बहुत सस्ता है।

यह तन विष की बेलरी, गुरु अमृत की खान ।
शीश दियो जो गुरु मिले, तो भी सस्ता जान ।
This body is full of poison and the Guru is the mine of nectar.
 Even if you get a true guru in return for giving your head to your head, even then this deal is very cheap.

yah tan vish kee belaree, guru amrt kee khaan .
sheesh diyo jo guru mile, to bhee sasta jaan .

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