Monday, June 14, 2021

Main kuchh likhna chahta hu|| Apne bare me ||Poetry ||Spoken words||Kishor ||PoemNagari

कुछ लिखना चाहता हूं अपने बारे में 
और उसे बार-बार पढ़ना भी चाहता हूं
 कि कुछ कमी हो तो सुधारा जा सके
 कि कुछ अधूरा हो तो उसे पूरा किया जा सके
प्रेम करना चाहता हूं इस धरा से ,
और इसकी खूबसूरती में खो जाना चाहता हूं 
जीना चाहता हूं ,
 बिना जीतने की होड़ में फंसे,
खिलना चाहता हूं,
फूलों की तरह
बिखरना चाहता हूं,
खुश्बू की तरह ,चारों ओर
सबके लिए,एक समान
तथाह संभावनाओं और चुनौतियों को कलमबद्ध करना चाहता हूं, 
कि खुद को आजमा सकूं,
इसकी पुर्जोर तीव्रता से ,
कि स्वयं को खपा सकू ,
इस क्षिति , जल ,पावक, गगन, समीर में 
एक-एक पल को शब्दों में संजोकर 
अग्नि को साक्षी मान स्वाहा करना चाहता हूं 
अपने हर एक अभिमान,
और उससे जुड़े हर एक यादों को ,
कुछ भी ना बचे,
बिल्कुल
निशब्द हो सकूं , निर्विचार, शुन्य !

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