बहुरूपिया
एक ऐसा शब्द
जिसके सुनते ही
मायावी चेहरे नजर आने लगते है , जो अपने अवश्यकता के अनुरूप चेहरे बदलते रहते है , हम इससे जुड़ी कई कहानियां भी बचपन से सुनते आ रहे हैं , पहले के जमाने में गांव में बहुत सारे बहुरूपिया अलग-अलग भेष बनाकर आते थे ,अपना करतब दिखलाते थे, बदले में लोग उन्हें दाल , चावल और पैसे दिया करते थे लेकिन अब सब बदल चुका है |
एक बात बोलूं -
जरा सोचना फिर बतलाना
तुम भी एक बहुरूपिया हो, हो ना !
क्योंकि हर जगह , अलग-अलग लोगों के लिए
तुम भी तो बदलते रहते हो , तुम्हारे चेहरे बदलते रहते हैं,
किसी से तुम्हे प्रेम तो किसी से नफ़रत होता है,
किसी के लिए तुम अपने, तो किसी के लिए पराए हो जाते हो,
किसी के लिए बेटा, किसी के लिए बाप,तो किसी के लिए पति, तो किसी का भाई,
एक आदमी के अनेकों रिश्ते,
हर एक रिश्ते की जिम्मेवारीया और मर्यादाएं अलग-अलग है,
सब को संजोए रखना,सम्भाले रखना,
ये सब एक बहुरूपिये की बस की ही बात है,
कभी हम बच्चे कभी जवान तो कभी बूढ़े होते रहते हैं वक्त के साथ चेहरे बदलते रहते हैं।
बदलाव अपने साथ कुछ ना कुछ नयापन लेकर आती है,
और वह नयापन किसी को खुशियां तो किसी को ग़म दे जाती है ।
मैं अगर आपसे पुछूं की सबसे बड़ा बहुरूपिया कौन है, तो आप क्या जवाब देंगे, बोलिए,
मुझे तो ऐसा लगता है कि सबसे बड़ा बहुरूपिया तो ये वक़्त है,यह क्या कुछ नहीं बदल देता है, लगभग सब कुछ बदल देता है, फिर भी बदला ही रहता है, इस वक्त भी जब आप यह सुन रहे होंगे, अभी भी कोई हंस रहा होगा ,तो कोई रो रहे होंगे।
बहुरूपिया है संसार,हर वक्त बदले इसका , रंग, रूप , आकार, बहुरूपिया है संसार।
Life Is nothing ,So Be the part of every thing.
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