Sunday, February 20, 2022

जो जीवन की धूल चाट कर बड़ा हुआ है || केदारनाथ अग्रवाल ||हिन्दी कविता||Recited By Kishor #PoemNagari

प्रस्तुत कविता केदारनाथ अग्रवाल जी द्वारा लिखित है ।

कविता - जो जीवन की धूल चाट कर बड़ा हुआ है ।
कवि - केदारनाथ अग्रवाल


जो जीवन की धूल चाट कर बड़ा हुआ है
तूफ़ानों से लड़ा और फिर खड़ा हुआ है
जिसने सोने को खोदा लोहा मोड़ा है
जो रवि के रथ का घोड़ा है
वह जन मारे नहीं मरेगा
नहीं मरेगा

जो जीवन की आग जला कर आग बना है
फौलादी पंजे फैलाए नाग बना है
जिसने शोषण को तोड़ा शासन मोड़ा है
जो युग के रथ का घोड़ा है
वह जन मारे नहीं मरेगा
नहीं मरेगा





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