Sunday, April 17, 2022

Main Jise Odhata- Bichhata hoon || Dushyant Kumar || Hindi Poetry || PoemNagari

प्रस्तुत कविता दुष्यंत कुमार जी द्वारा लिखित है।

मैं जिसे ओढ़ता-बिछाता हूँ
वो ग़ज़ल आपको सुनाता हूँ

एक जंगल है तेरी आँखों में
मैं जहाँ राह भूल जाता हूँ


#तू_किसी_रेल_सी_गुज़रती_है
#मैं_किसी_पुल_सा_थरथराता_हूँ

हर तरफ़ ऐतराज़ होता है
मैं अगर रौशनी में आता हूँ

एक बाज़ू उखड़ गया जबसे
और ज़्यादा वज़न उठाता हूँ

मैं तुझे भूलने की कोशिश में
आज कितने क़रीब पाता हूँ

कौन ये फ़ासला निभाएगा
मैं फ़रिश्ता हूँ सच बताता हूँ

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