Sunday, April 17, 2022

Wakt Ne Chor Kaha || Gulzar || Hindi Poetry || PoemNagari #वक्त_ने_चोर_कहा #गुलज़ार_साहब_की_कविता

प्रस्तुत कविता गुलज़ार जी द्वारा लिखित है।

कविता का शीर्षक - वक्त ने चोर कहा


वक्त की आँख पे पट्टी बांध के
चोर सिपाही खेल रहे थे ..
रात और दिन और चाँद और मैं ..
जाने कैसे इस गर्दिश में अटका पाँव ,
दूर गिरा जा कर मैं जैसे ,
रौशनियों के धक्के से परछाई जमीं पर गिरती हैं ।
धेय्या छोने से पहले ही ..
वक्त ने चोर कहा 
और आँखे खोल के
मुझको पकड लिया ...

No comments:

Post a Comment

जो जीवन ना बन सका ! || That Could Not Be Life ! || PoemNagari || Hindi Kavita

कविता का शीर्षक - जो जीवन ना बन सका ! Title Of Poem - That Could Not Be Life ! खोखले शब्द  जो जीवन ना बन सके बस छाया या  उस जैसा कुछ बनके  ख...