क्या माँ के प्यार में , आई कमी थी ?
क्या जमाने ने तेरी छिनी खुशी थी ?
क्या रव़ भी तुझसे रूठ गया था ?
क्या सव्र का बंधन टुट गया था ?
रहम के राह पर चलने वाले
बदी से नाता तोड़ने वाले ,
क्यों किया तूने ऐसा काम ?
समाज ने तूम्हे किया बदनाम ,
जब इन्सानियत से रुख मोड़ ली,
तब हैवानियत उसे झकझोर दी ,
आखिर वह बन हीं गया ,
समाज में बेरहम,
आखिर दुराचार की तरफ ,
बढा ही लिया कदम ,
अंततः किसी ने कर दिया उसका काम तमाम,
क्योकि वह था समाज का एक बेरहम इंसान ,
इंसान हो इंसानियत से रहना इस समाज में,
फिर कोई बन न पाए,
उस जैसा बेरहम इस जहान में,
नहीं तो फिर जाग जायेगा हैवानियत इंसान में ।
Wednesday, July 22, 2020
#Poem Nagari # Hindi Poetry " Gumrah"
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जो जीवन ना बन सका ! || That Could Not Be Life ! || PoemNagari || Hindi Kavita
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