मैं नहीं मरूंगा
अपनों के दिल में रहुगा
यह जीवन एक समां है,बुझ जाएगी
मिट्टी का तन मिट्टी होगा, प्राण हवा बन उड़ जाएगा,
फिर उड़ता फिरता किसी के मन को छूकर
होठों का मुस्कान बनूंगा,
मैं नहीं मरूंगा
अपनों के दिल में रहुगा,
मैं कहां से आया,तो फिर कहां को जाना ???
अनजाने इस महासफर में, मुझे नहीं सयाने बनना,
बेकार की बातें,समाज के नाते नहीं सुनूंगा,
मैं खुद से उठुंगा, गिर-गिर फिर से बढूंगा,
मैं नहीं मरूंगा
अपनों के दिल में रहुगा
मैं नहीं मरूंगा ।
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