Wednesday, June 16, 2021

Jiwan-Mantra|| Short Videos Series||Part-40||Kabir Das|| PoemNagari||कबीर दोहे

जिसको ईश्वर प्रेम और भक्ति पाना है उसे अपना काम, क्रोध, भय और इच्छा को त्यागना होगा। लालची इंसान अपना शीश यानी काम, क्रोध, भय और इच्छा तो त्याग नहीं सकता लेकिन प्रेम पाने की उम्मीद रखता है।

प्रेम पियाला जो पिए, सिस दक्षिणा देय ।
लोभी शीश न दे सके, नाम प्रेम का लेय ।


One who wants to get God's love and devotion has to give up his lust, anger, fear and desire. A greedy person cannot give up his head i.e. lust, anger, fear and desire, but he hopes to get love.

prem piyaala jo pie, sis dakshina dey .
lobhee sheesh na de sake, naam prem ka ley .


No comments:

Post a Comment

जो जीवन ना बन सका ! || That Could Not Be Life ! || PoemNagari || Hindi Kavita

कविता का शीर्षक - जो जीवन ना बन सका ! Title Of Poem - That Could Not Be Life ! खोखले शब्द  जो जीवन ना बन सके बस छाया या  उस जैसा कुछ बनके  ख...