Thursday, June 17, 2021

Jiwan-Mantra||Short Videos Series||Part-55||Kabir Das || PoemNagari || कबीर दोहे

इंसान की फितरत कुछ ऐसी है कि दूसरों के अंदर की बुराइयों को देखकर उनके दोषों पर हँसता है, व्यंग करता है लेकिन अपने दोषों पर कभी नजर नहीं जाती 

दोस पराए देखि करि, चला हसन्त हसन्त,
अपने याद न आवई, जिनका आदि न अंत


Human nature is such that seeing the evils inside others, laughs at their faults, sarcasm but never sees their faults.

dos parae dekhi kari, chala hasant hasant,
apane yaad na aavee, jinaka aadi na ant

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