कबीर दास जी मन को समझाते हुए कहते हैं कि हे मन! दुनिया का हर काम धीरे धीरे ही होता है। इसलिए सब्र करो। जैसे माली चाहे कितने भी पानी से बगीचे को सींच ले लेकिन वसंत ऋतू आने पर ही फूल खिलते हैं।
धीरे-धीरे रे मना, धीरे सब कुछ होय ।
माली सींचे सौ घड़ा, ॠतु आए फल होय ।
Kabir Das ji while explaining to the mind says that O mind! Everything in the world happens slowly. So be patient. Like the gardener may irrigate the garden with water, but flowers bloom only when the spring season arrives.
dheere-dheere re mana, dheere sab kuchh hoy .
maalee seenche sau ghada, rtu aae phal hoy .
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