Sunday, July 4, 2021

MohBhang || Spokenwords || Storytelling ||InspiringPoetry || Awakenwords ||PoemNagari ||Kishor

In today's time it is very difficult to understand the difference between love and infatuation.
सारे झगड़े की फसाद यही तो है ,
आखिर कितने देख पाते हैं
प्रेम और मोह के बीच की पतली लकीर को 
To be honest, only a small percentage of people understand this.

और अभी के इस Mordern, Restless Time में तो 

हजारों मंजनू अनेकों बार मोह को प्रेम समझकर 
अजीबो गरीब हरकत करते दिखाई देते हैं।

जो एक क्षण में बदल जाए वह प्रेम नहीं , मोह ही हो सकता है 
प्रेम तो शास्वत है, इसमें करूणा है, समर्पण है और स्वतंत्रता है ।
What changes in a moment is not love, it can only be infatuation
 Prem is eternal, it has compassion, surrender and freedom.
प्रेम बढ़ता है और बढ़ता ही जाता है
मगर मोह क्षणभंगुर है
यह बंधन बनाता है ,बोझ पैदा करता है,
यह झूठ का मनभावन महल बनाता है
और हम अपने ही आदतो के गुलाम हो जाते हैं।
Prem grows and grows
 but Moh is fleeting
 It creates a bond, creates a burden,
 It makes a pleasing palace of lies
 And we become slaves to our own habits.

तो यही कहेंगे
की लैला-मजनूं हीर-रांझा 
जो बनना है बन जाना
पर पहले समझो 
प्रेम और मोह का अंतर 
फिर जो करना है कर जाना
इस नई नवेली जीवन की 
सुबह और दोपहरियां कहीं भी गुजरे
पर शाम को अपने घर जाना है
 यह बात है तुम को समझाना 
 यह बात है तुम को समझाना 

If we understand just such a thing, then all the problems will become easy and the disillusionment will be dissolved.

बस इतनी सी बात समझ में आ जाए तो सारे समस्या सरल हो जाएंगे और मोह भंग हो जाएगा
माया मरी न मन मरा, मर-मर गए शरीर ।
आशा तृष्णा न मरी, कह गए दास कबीर ॥

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