Saturday, April 23, 2022

Is nadee kee dhaar mein thandee hava aatee to hai || Dushyant Kumar || Hindi Poetry || PoemNagari

प्रस्तुत कविता दुष्यंत कुमार जी द्वारा लिखित है।



इस नदी की धार में ठंडी हवा आती तो है,
नाव जर्जर ही सही, लहरों से टकराती तो है।

एक चिनगारी कही से ढूँढ लाओ दोस्तों,
इस दिए में तेल से भीगी हुई बाती तो है।

एक खंडहर के हृदय-सी, एक जंगली फूल-सी,
आदमी की पीर गूंगी ही सही, गाती तो है।

एक चादर साँझ ने सारे नगर पर डाल दी,
यह अंधेरे की सड़क उस भोर तक जाती तो है।

निर्वचन मैदान में लेटी हुई है जो नदी,
पत्थरों से, ओट में जा-जाके बतियाती तो है।

दुख नहीं कोई कि अब उपलब्धियों के नाम पर,
और कुछ हो या न हो, आकाश-सी छाती तो है।


Sunday, April 17, 2022

Wakt Ne Chor Kaha || Gulzar || Hindi Poetry || PoemNagari #वक्त_ने_चोर_कहा #गुलज़ार_साहब_की_कविता

प्रस्तुत कविता गुलज़ार जी द्वारा लिखित है।

कविता का शीर्षक - वक्त ने चोर कहा


वक्त की आँख पे पट्टी बांध के
चोर सिपाही खेल रहे थे ..
रात और दिन और चाँद और मैं ..
जाने कैसे इस गर्दिश में अटका पाँव ,
दूर गिरा जा कर मैं जैसे ,
रौशनियों के धक्के से परछाई जमीं पर गिरती हैं ।
धेय्या छोने से पहले ही ..
वक्त ने चोर कहा 
और आँखे खोल के
मुझको पकड लिया ...

Main Jise Odhata- Bichhata hoon || Dushyant Kumar || Hindi Poetry || PoemNagari

प्रस्तुत कविता दुष्यंत कुमार जी द्वारा लिखित है।

मैं जिसे ओढ़ता-बिछाता हूँ
वो ग़ज़ल आपको सुनाता हूँ

एक जंगल है तेरी आँखों में
मैं जहाँ राह भूल जाता हूँ


#तू_किसी_रेल_सी_गुज़रती_है
#मैं_किसी_पुल_सा_थरथराता_हूँ

हर तरफ़ ऐतराज़ होता है
मैं अगर रौशनी में आता हूँ

एक बाज़ू उखड़ गया जबसे
और ज़्यादा वज़न उठाता हूँ

मैं तुझे भूलने की कोशिश में
आज कितने क़रीब पाता हूँ

कौन ये फ़ासला निभाएगा
मैं फ़रिश्ता हूँ सच बताता हूँ

जो जीवन ना बन सका ! || That Could Not Be Life ! || PoemNagari || Hindi Kavita

कविता का शीर्षक - जो जीवन ना बन सका ! Title Of Poem - That Could Not Be Life ! खोखले शब्द  जो जीवन ना बन सके बस छाया या  उस जैसा कुछ बनके  ख...