Monday, October 5, 2020

Mat Kaho Aakash Me Kuhra Ghana Hai |HindiPoetry |PoemNagari |Dushyant Kumar

प्रस्तुत कविता दुष्यंत कुमार जी द्वारा लिखित है।

             मत कहो, आकाश में कुहरा घना है ।

मत कहो, आकाश में कुहरा घना है,


यह किसी की व्यक्तिगत आलोचना है ।

सूर्य हमने भी नहीं देखा सुबह से,


क्या करोगे, सूर्य का क्या देखना है ।

इस सड़क पर इस क़दर कीचड़ बिछी है,


हर किसी का पाँव घुटनों तक सना है ।

पक्ष औ' प्रतिपक्ष संसद में मुखर हैं,


बात इतनी है कि कोई पुल बना है

रक्त वर्षों से नसों में खौलता है,


आप कहते हैं क्षणिक उत्तेजना है ।

हो गई हर घाट पर पूरी व्यवस्था,


शौक से डूबे जिसे भी डूबना है ।

दोस्तों ! अब मंच पर सुविधा नहीं है,


आजकल नेपथ्य में संभावना है ।


दुष्यंत कुमार त्यागी (27 सितंबर 1931-30 दिसंबर 1975) एक हिन्दी कवि , कथाकार और ग़ज़लकार थे। कवि की पुस्तकों में जन्मतिथि 1 सितंबर 1933 लिखी है, किन्तु दुष्यन्त साहित्य के मर्मज्ञ विजय बहादुर सिंह के अनुसार कवि की वास्तविक जन्मतिथि 27 सितंबर 1931 है।

दुष्यंत कुमार

दुष्यंत कुमार का जन्‍म उत्तर प्रदेश में बिजनौर जनपद की तहसील नजीबाबाद के ग्राम राजपुर नवादा में हुआ था। जिस समय दुष्यंत कुमार ने साहित्य की दुनिया में अपने कदम रखे उस समय भोपाल के दो प्रगतिशील शायरों ताज भोपाली तथा क़ैफ़ भोपाली का ग़ज़लों की दुनिया पर राज था। हिन्दी में भी उस समय अज्ञेय तथा गजानन माधव मुक्तिबोध की कठिन कविताओं का बोलबाला था। उस समय आम आदमी के लिए नागार्जुन तथा धूमिल जैसे कुछ कवि ही बच गए थे। इस समय सिर्फ़ 44 वर्ष के जीवन में दुष्यंत कुमार ने अपार ख्याति अर्जित की।

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