Tuesday, December 1, 2020

Aarambh Hai Prachand |HindiPoetry |Piyush Mishra |PoemNagari

प्रस्तुत कविता पीयूष मिश्रा जी द्वारा लिखित है।

आरम्भ है प्रचण्ड बोल मस्तकों के झुण्ड


आज जंग की घड़ी की तुम गुहार दो,


आन बान शान या की जान का हो दान


आज एक धनुष के बाण पे उतार दो !!!

मन करे सो प्राण दे, जो मन करे सो प्राण ले


वही तो एक सर्वशक्तिमान है,


विश्व की पुकार है ये भगवत का सार है की


युद्ध ही तो वीर का प्रमाण है !!!


कौरवो की भीड़ हो या पाण्डवो का नीर हो


जो लड़ सका है वही तो महान है !!!


जीत की हवस नहीं किसी पे कोई बस नहीं क्या


ज़िन्दगी है ठोकरों पर मार दो,


मौत अन्त हैं नहीं तो मौत से भी क्यों डरे


ये जाके आसमान में दहाड़ दो !

आरम्भ है प्रचण्ड बोल मस्तकों के झुण्ड


आज जंग की घड़ी की तुम गुहार दो,


आन बान शान या की जान का हो दान


आज एक धनुष के बाण पे उतार दो !!!

वो दया का भाव या की शौर्य का चुनाव


या की हार को वो घाव तुम ये सोच लो,


या की पूरे भाल पर जला रहे वे जय का लाल,


लाल ये गुलाल तुम ये सोच लो,


रंग केसरी हो या मृदंग केसरी हो


या की केसरी हो लाल तुम ये सोच लो !!


जिस कवि की कल्पना में ज़िन्दगी हो


प्रेम गीत उस कवि को आज तुम नकार दो,


भीगती नसों में आज फूलती रगों में


आज आग की लपट तुम बखार दो  !!!

आरम्भ है प्रचण्ड बोल मस्तकों के झुण्ड


आज जंग की घड़ी की तुम गुहार दो,


आन बान शान या की जान का हो दान


आज एक धनुष के बाण पे उतार दो !!!

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