Monday, June 28, 2021

Main Tumhare Dhyan Me Hu ||HindiPoetry || Agyeya || PoemNagari

प्रिय, मैं तुम्हारे ध्यान में हूँ!
वह गया जग मुग्ध सरि-सा मैं तुम्हारे ध्यान में हूँ!
तुम विमुख हो, किन्तु मैं ने कब कहा उन्मुख रहो तुम?
साधना है सहसनयना-बस, कहीं सम्मुख रहो तुम!

विमुख-उन्मुख से परे भी तत्त्व की तल्लीनता है-
लीन हूँ मैं, तत्त्वमय हूँ, अचिर चिर-निर्वाण में हूँ!
मैं तुम्हारे ध्यान में हूँ!
क्यों डरूँ मैं मृत्यु से या क्षुद्रता के शाप से भी?

क्यों डरूँ मैं क्षीण-पुण्या अवनि के सन्ताप से भी?
व्यर्थ जिस को मापने में हैं विधाता की भुजाएँ-
वह पुरुष मैं, मत्र्य हूँ पर अमरता के मान में हूँ!
मैं तुम्हारे ध्यान में हूँ!
रात आती है, मुझे क्या? मैं नयन मूँदे हुए हूँ,

आज अपने हृदय में मैं अंशुमाली की लिये हूँ!
दूर के उस शून्य नभ में सजल तारे छलछलाएँ-
वज्र हूँ मैं, ज्वलित हूँ, बेरोक हूँ, प्रस्थान में हूँ!
मैं तुम्हारे ध्यान में हूँ!

मूक संसृति आज है, पर गूँजते हैं कान मेरे,
बुझ गया आलोक जग में, धधकते हैं प्राण मेरे।
मौन या एकान्त या विच्छेद क्यों मुझ को सताए?
विश्व झंकृत हो उठे, मैं प्यार के उस गान में हूँ!

मैं तुम्हारे ध्यान में हूँ!
जगत है सापेक्ष, या है कलुष तो सौन्दर्य भी है,
हैं जटिलताएँ अनेकों-अन्त में सौकर्य भी है।
किन्तु क्यों विचलित करे मुझ को निरन्तर की कमी यह-

एक है अद्वैत जिस स्थल आज मैं उस स्थान में हूँ!
मैं तुम्हारे ध्यान में हूँ!
वेदना अस्तित्व की, अवसान की दुर्भावनाएँ-
भव-मरण, उत्थान-अवनति, दु:ख-सुख की प्रक्रियाएँ

आज सब संघर्ष मेरे पा गये सहसा समन्वय-
आज अनिमिष देख तुम को लीन मैं चिर-ध्यान में हूँ!
मैं तुम्हारे ध्यान में हूँ!
बह गया जग मुग्ध सरि-सा मैं तुम्हारे ध्यान में हूँ!
प्रिय, मैं तुम्हारे ध्यान में हूँ!


Mere Swapn Tumhare Paas Sahara Pane Aayenge || HindiPoetry|| Dushyant Kumar || PoemNagari

मेरे स्वप्न तुम्हारे पास सहारा पाने आएँगे
इस बूढ़े पीपल की छाया में सुस्ताने आएँगे

हौले-हौले पाँव हिलाओ जल सोया है छेड़ो मत
हम सब अपने-अपने दीपक यहीं सिराने आएँगे
मेरे स्वप्न तुम्हारे पास सहारा पाने आएँगे

थोड़ी आँच बची रहने दो थोडा धुआँ निकलने दो
तुम देखोगी इसी बहाने कई मुसाफ़िर आएँगे
मेरे स्वप्न तुम्हारे पास सहारा पाने आएँगे

उनको क्या मालूम निरूपित इस सिकता पर क्या बीती
वे आए तो यहाँ शँख सीपियाँ उठाने आएँगे
मेरे स्वप्न तुम्हारे पास सहारा पाने आएँगे

फिर अतीत के चक्रवात में दृष्टि न उलझा लेना तुम
अनगिन झोंके उन घटनाओं को दोहराने आएँगे
मेरे स्वप्न तुम्हारे पास सहारा पाने आएँगे

रह-रह आँखों में चुभती है पथ की निर्जन दोपहरी
आगे और बढ़े तो शायद दृश्य सुहाने आएँगे
मेरे स्वप्न तुम्हारे पास सहारा पाने आएँगे


मेले में भटके होते तो कोई घर पहुँचा जाता
हम घर में भटके हैं कैसे ठौर-ठिकाने आएँगे
मेरे स्वप्न तुम्हारे पास सहारा पाने आएँगे


हम क्यों बोलें इस आँधी में कई घरौन्दे टूट गए
इन असफल निर्मितियों के शव कल पहचाने जाएँगे
मेरे स्वप्न तुम्हारे पास सहारा पाने आएँगे

हम इतिहास नहीं रच पाए इस पीड़ा में दहते हैं
अब जो धारायें पकड़ेंगे इसी मुहाने आएँगे
मेरे स्वप्न तुम्हारे पास सहारा पाने आएँगे
इस बूढ़े पीपल की छाया में सुस्ताने आएँगे



Thursday, June 24, 2021

Meri Dulhan Si Raato Ko|| HindiPoetry|| Gopal Singh'Nepali'||Recited by Kishor ||PoemNagari

बदनाम रहे बटमार मगर, घर तो रखवालों ने लूटा
मेरी दुल्हन-सी रातों को, नौ लाख सितारों ने लूटा

दो दिन के रैन बसेरे की,
हर चीज़ चुराई जाती है
दीपक तो अपना जलता है,
पर रात पराई होती है
गलियों से नैन चुरा लाए
तस्वीर किसी के मुखड़े की
रह गए खुले भर रात नयन, दिल तो दिलदारों ने लूटा
मेरी दुल्हन-सी रातों को, नौ लाख सितारों ने लूटा

शबनम-सा बचपन उतरा था,
तारों की गुमसुम गलियों में
थी प्रीति-रीति की समझ नहीं,
तो प्यार मिला था छलियों से
बचपन का संग जब छूटा तो
नयनों से मिले सजल नयना
नादान नये दो नयनों को, नित नये बजारों ने लूटा
मेरी दुल्हन-सी रातों को, नौ लाख सितारों ने लूटा

हर शाम गगन में चिपका दी,
तारों के अक्षर की पाती
किसने लिक्खी, किसको लिक्खी,
देखी तो पढ़ी नहीं जाती
कहते हैं यह तो किस्मत है
धरती के रहनेवालों की
पर मेरी किस्मत को तो इन, ठंडे अंगारों ने लूटा
मेरी दुल्हन-सी रातों को, नौ लाख सितारों ने लूटा

अब जाना कितना अंतर है,
नज़रों के झुकने-झुकने में
हो जाती है कितनी दूरी,
थोड़ा-सी रुकने-रुकने में
मुझ पर जग की जो नज़र झुकी
वह ढाल बनी मेरे आगे
मैंने जब नज़र झुकाई तो, फिर मुझे हज़ारों ने लूटा
मेरी दुल्हन-सी रातों को नौ लाख सितारों ने लूटा

Friday, June 18, 2021

To Milna Mujhe||Spokenwords||HindiPoetry||Kishor||PoemNagari||InspiringWords||Storytelling||Awekenwords

घोर अंधेरे की 
खामोशी में भी , 

सिर्फ मेरे होने के 
एहसास पाकर , 
गुनगुना सको 
तो मिलना मुझे ...
 
मिलने की उम्मीद से
 चहचहा उठो 

तो मिलना मुझे ...
मुझे मालूम है

इस वक्त तुम मजबूत हो,
कुछ मजबूरियां बेशक रही होंगी

मगर उन्हें दरकिनार कर

इस तरफ कदम बढ़ा सको,

तो मिलना मुझे,

मिलने की उम्मीद से
 चहचहा उठो 
तो मिलना मुझे ...

मोहब्बत में घरौंदे टूटकर बिखरे अनेकों,
पर इन्हें सम्भाल कर 

बसा सको,
तो मिलना मुझे,

घोर अंधेरे की 
खामोशी में भी , 

सिर्फ मेरे होने के 
एहसास पाकर , 

गुनगुना सको 
तो मिलना मुझे ...

इस बेढंगी दुनिया की अजब है दस्तूरे

मोहब्बत जुर्म है,
जीन्दगी है सस्ती,

फिर भी ,
गर खुद को आजमा सको ,

तो मिलना मुझे,

मिलने की उम्मीद से
 चहचहा उठो 
तो मिलना मुझे ...

मैं सिर्फ
 तुम्हारा महबूब ही नहीं,
 तुम्हारे सपने, उम्मीद 
और मंजील भी हुं ।

अगर पूरे जान से इस जान से 
मिलने की हिम्मत जुटा सको,
तो मिलना मुझे ....
मिलने की उम्मीद से
 चहचहा उठो 
तो मिलना मुझे ...

हजारों की उम्मीदें हैं इधर ही 
मगर ठहरा अकेला मैं भी
ना लौटना किसी हाल में इसके बिना,

ऐसी हठ दिखा सको ,
तो मिलना मुझे,

घोर अंधेरे की 
खामोशी में भी , 
सिर्फ मेरे होने के 
एहसास पाकर , 
गुनगुना सको 
तो मिलना मुझे ...
 
मिलने की उम्मीद से
 चहचहा उठो 
तो मिलना मुझे ...



Thursday, June 17, 2021

Jiwan-Mantra||Short Videos Series||Part-60||Kabir Das || PoemNagari || कबीर दोहे

हिन्दूयों के लिए राम प्यारा है और मुस्लिमों के लिए अल्लाह रहमान प्यारा है। दोनों राम रहीम के चक्कर में आपस में लड़ मिटते हैं लेकिन कोई सत्य को नहीं जान पाया।

हिन्दू कहें मोहि राम पियारा, तुर्क कहें रहमाना,
आपस में दोउ लड़ी-लड़ी मुए, मरम न कोउ जाना 


Ram is dear to Hindus and Allah Rahman is dear to Muslims. Both end up fighting with each other in the affair of Ram Rahim, but no one could know the truth.

hindoo kahen mohi raam piyaara, turk kahen rahamaana,

aapas mein dou ladee-ladee mue, maram na kou jaana 








Jiwan-Mantra||Short Videos Series||Part-59||Kabir Das || PoemNagari || कबीर दोहे

जो व्यक्ति अच्छी वाणी बोलता है वही जानता है कि वाणी अनमोल रत्न है। इस लिए हृदय रूपी तराजू में 
शब्दों को तोलकर ही मुख से बाहर आने दें।

बोली एक अनमोल है, जो कोई बोलै जानि,
हिये तराजू तौलि के, तब मुख बाहर आनि l

Only the person who speaks good speech knows that speech is a priceless gem. Therefore in the scales of the heart
 Let the words come out of the mouth only by weighing them.


bolee ek anamol hai, jo koee bolai jaani,
hiye taraajoo tauli ke, tab mukh baahar aani


Jiwan-Mantra||Short Videos Series||Part-58||Kabir Das || PoemNagari || कबीर दोहे

जैसे पेड़ से झड़ा हुआ पत्ता वापस पेड़ पर नहीं लग सकता, ठीक वैसे ही
मनुष्य का जन्म मिलना बहुत दुर्लभ है यह शरीर बार बार नहीं मिलता

दुर्लभ मानुष जन्म है, देह न बारम्बार,
तरुवर ज्यों पत्ता झड़े, बहुरि न लागे डार

Just as a fallen leaf from a tree cannot be brought back to the tree, in the same way
 It is very rare to get human birth, this body is not found again and again.

durlabh maanush janm hai, deh na baarambaar,
taruvar jyon patta jhade, bahuri na laage daar



Jiwan-Mantra||Short Videos Series||Part-57||Kabir Das || PoemNagari || कबीर दोहे

केवल कहने और सुनने में ही सब दिन चले गये लेकिन यह  मन न सुलझा है और नहीं ही चेता हीं है यह आज भी पहले जैसा ही है।

कहत सुनत सब दिन गए, उरझि न सुरझ्या मन,
कही कबीर चेत्या नहीं, अजहूँ सो पहला दिन 

All the days have gone by just saying and listening, but this mind is not settled nor does it warn, it is still the same as before.

kahat sunat sab din gae, urajhi na surajhya man,

kahee kabeer chetya nahin, ajahoon so pahala din. 










Jiwan-Mantra||Short Videos Series||Part-56||Kabir Das || PoemNagari || कबीर दोहे

 जीवन में संतुलन होना अति आवश्यक है।
कहते हैं कि ज्यादा बोलना अच्छा नहीं है और ना ही ज्यादा चुप रहना ही अच्छा है जैसे ज्यादा बारिश अच्छी नहीं होती और बहुत ज्यादा धूप भी अच्छी नहीं है।

अति का भला न बोलना, अति की भली न चूप,
अति का भला न बरसना, अति की भली न धूप

It is very important to have balance in life.
 It is said that it is not good to speak too much and it is not good to be silent too much like too much rain is not good and too much sun is not good either.

ati ka bhala na bolana, ati kee bhalee na choop,
ati ka bhala na barasana, ati kee bhalee na dhoop


Jiwan-Mantra||Short Videos Series||Part-55||Kabir Das || PoemNagari || कबीर दोहे

इंसान की फितरत कुछ ऐसी है कि दूसरों के अंदर की बुराइयों को देखकर उनके दोषों पर हँसता है, व्यंग करता है लेकिन अपने दोषों पर कभी नजर नहीं जाती 

दोस पराए देखि करि, चला हसन्त हसन्त,
अपने याद न आवई, जिनका आदि न अंत


Human nature is such that seeing the evils inside others, laughs at their faults, sarcasm but never sees their faults.

dos parae dekhi kari, chala hasant hasant,
apane yaad na aavee, jinaka aadi na ant

Jiwan-Mantra||Short Videos Series||Part-54||Kabir Das || PoemNagari || कबीर दोहे

जो लोग लगातार प्रयत्न करते हैं, मेहनत करते हैं वह कुछ ना कुछ पाने में जरूर सफल हो जाते हैं। जैसे कोई गोताखोर जब गहरे पानी में डुबकी लगाता है तो कुछ ना कुछ लेकर जरूर आता है लेकिन जो लोग डूबने के भय से किनारे पर ही बैठे रहे हैं उनको जीवन पर्यन्त कुछ नहीं मिलता।


जिन खोजा तिन पाइया, गहरे पानी पैठ,
मैं बपुरा बूडन डरा, रहा किनारे बैठ

Those who constantly try, work hard, they definitely become successful in getting something or the other. Like when a diver takes a dip in deep water, he definitely brings something or the other, but those who have been sitting on the shore for fear of drowning do not get anything for life.


jin khoja tin paiya, gahare paanee paith,
main bapura boodan dara, raha kinaare baith


Jiwan-Mantra||Short Videos Series||Part-53||Kabir Das || PoemNagari || कबीर दोहे

जब हम पैदा हुए थे उस समय सारी दुनिया खुश थी और हम रो रहे थे। जीवन में कुछ ऐसा काम करके जाओ कि जब हम मरें तो दुनियां रोये और हम हँसे।

कबीरा जब हम पैदा हुए, जग हँसे हम रोये,
ऐसी करनी कर चलो, हम हँसे जग रोये

When we were born the whole world was happy and we were crying. Go do something in life that when we die, the world weeps and we laugh.

kabeera jab ham paida hue, jag hanse ham roye,
aisee karanee kar chalo, ham hanse jag roye


Jiwan-Mantra||Short Videos Series||Part-52||Kabir Das || PoemNagari || कबीर दोहे

जैसे आँख के अंदर पुतली है, ठीक वैसे ही ईश्वर हमारे अंदर बसा है। मूर्ख लोग नहीं जानते और बाहर ही ईश्वर को तलाशते रहते हैं।

ज्यों नैनन में पुतली, त्यों मालिक घर माँहि।
मूरख लोग न जानिए , बाहर ढूँढत जाहिं


Just as there is a pupil inside the eye, so God resides in us. Foolish people do not know and keep looking for God outside.

jyon nainan mein putalee, tyon maalik ghar maanhi.
moorakh log na jaanie , baahar dhoondhat jaahin


Jiwan-Mantra||Short Videos Series||Part-51||Kabir Das || PoemNagari || कबीर दोहे

मांगना तो मृत्यु के समान है, कभी किसी से भीख मत मांगो। मांगने से भला तो मरना है।

मांगन मरण समान है, मत मांगो कोई भीख,
मांगन से मरना भला, ये सतगुरु की सीख


Asking is like death, never beg from anyone. It is better to die than to ask.

maangan maran samaan hai, mat maango koee bheekh,
maangan se marana bhala, ye sataguru kee seekh

Jiwan-Mantra||Short Videos Series||Part-50||Kabir Das || PoemNagari || कबीर दोहे

इंसान मरता है शरीर बदलता है लेकन इसकी इच्छाएं और       इस भौतिक दुनिया से मोह  कभी नहीं मरता।

माया मरी न मन मरा, मर-मर गए शरीर ।
आशा तृष्णा न मरी, कह गए दास कबीर ।


Man dies the body changes but its desires and attachment to this material world never dies.


maaya maree na man mara, mar-mar gae shareer .

aasha trshna na maree, kah gae daas kabeer 



.


Jiwan-Mantra||Short Videos Series||Part-49||Kabir Das || PoemNagari || कबीर दोहे

कबीर दास जी मन को समझाते हुए कहते हैं कि हे मन! दुनिया का हर काम धीरे धीरे ही होता है। इसलिए सब्र करो। जैसे माली चाहे कितने भी पानी से बगीचे को सींच ले लेकिन वसंत ऋतू आने पर ही फूल खिलते हैं।

धीरे-धीरे रे मना, धीरे सब कुछ होय ।
माली सींचे सौ घड़ा, ॠतु आए फल होय ।


Kabir Das ji while explaining to the mind says that O mind! Everything in the world happens slowly. So be patient. Like the gardener may irrigate the garden with water, but flowers bloom only when the spring season arrives.

dheere-dheere re mana, dheere sab kuchh hoy .

maalee seenche sau ghada, rtu aae phal hoy .



Jiwan-Mantra||Short Videos Series||Part-48||Kabir Das || PoemNagari || कबीर दोहे

तिनके को पाँव के नीचे देखकर उसकी निंदा मत करिये क्यूंकि अगर हवा से उड़के तिनका आँखों में चला गया तो बहुत दर्द करता है। वैसे ही किसी कमजोर या गरीब व्यक्ति की निंदा नहीं करनी चाहिए।

तिनका कबहुँ ना निंदये, जो पाँव तले होय ।
कबहुँ उड़ आँखो पड़े, पीर घानेरी होय ।

Do not condemn the straw by looking at it under your feet because if the straw gets blown into the eyes by the wind, it hurts a lot. Similarly, one should not criticize a weak or poor person.


tinaka kabahun na nindaye, jo paanv tale hoy .
kabahun ud aankho pade, peer ghaaneree hoy .


Jiwan-Mantra||Short Videos Series||Part-47||Kabir Das || PoemNagari || कबीर दोहे

ये संसार ज्ञान से भरा पड़ा है, हर जगह राम बसे हैं। अभी समय है राम की भक्ति करो, नहीं तो जब अंत समय आएगा तो पछताना पड़ेगा।

लुट सके तो लुट ले, हरी नाम की लुट ।
अंत समय पछतायेगा, जब प्राण जायेगे छुट ।

This world is full of knowledge, Ram is everywhere. Now is the time to worship Ram, otherwise you will have to repent when the end time comes.

lut sake to lut le, haree naam kee lut .
ant samay pachhataayega, jab praan jaayege chhut .

Jiwan-Mantra||Short Videos Series||Part-46||Kabir Das || PoemNagari || कबीर दोहे

कौआ किसी का धन नहीं चुराता लेकिन फिर भी कौआ लोगों को पसंद नहीं होता। वहीँ कोयल किसी को धन नहीं देती लेकिन सबको अच्छी लगती है। ये फर्क है बोली का – कोयल मीठी बोली से सबके मन को हर लेती है।

कागा का को धन हरे, कोयल का को देय ।
मीठे वचन सुना के, जग अपना कर लेय ।

The crow does not steal anyone's money but still people do not like the crow. Whereas the cuckoo does not give money to anyone but everyone likes it. This is the difference of speech - the cuckoo takes away everyone's mind with sweet speech.

kaaga ka ko dhan hare, koyal ka ko dey .
meethe vachan suna ke, jag apana kar ley .

Jiwan-Mantra||Short Videos Series||Part-45||Kabir Das || PoemNagari || कबीर दोहे

कामी, क्रोधी और लालची, ऐसे व्यक्तियों से भक्ति नहीं हो पाती। भक्ति तो कोई सूरमा ही कर पाता है जो अपनी जाति, कुल, अहंकार सबका त्याग कर देता है।

कामी क्रोधी लालची, इनसे भक्ति न होय ।
भक्ति करे कोई सुरमा, जाती बरन कुल खोए ।

Lovely, angry and greedy, such persons do not get devotion. Only a surma can do devotion, who renounces his caste, clan, ego.


kaamee krodhee laalachee, inase bhakti na hoy .
bhakti kare koee surama, jaatee baran kul khoe .

Jiwan-Mantra||Short Videos Series||Part-44||Kabir Das || PoemNagari || कबीर दोहे

रात को सोते हुए गँवा दिया और दिन खाते खाते गँवा दिया। आपको जो ये अनमोल जीवन मिला है वो कोड़ियों में बदला जा रहा है।

रात गंवाई सोय के, दिवस गंवाया खाय ।
हीरा जन्म अमोल सा, कोड़ी बदले जाय ।

He lost his sleep at night and lost his food during the day. The precious life that you have got is being converted into whips.

raat ganvaee soy ke, divas ganvaaya khaay .

heera janm amol sa, kodee badale jaay .

Jiwan-Mantra||Short Videos Series||Part-43||Kabir Das || PoemNagari || कबीर दोहे

ऊँचे कुल में जन्म तो ले लिया लेकिन अगर कर्म ऊँचे नहीं है तो यह तो वही बात हुई जैसे सोने के लोटे में जहर भरा हो, इसकी चारों ओर निंदा ही होती है।

ऊँचे कुल का जनमिया, करनी ऊँची न होय ।
सुवर्ण कलश सुरा भरा, साधू निंदा होय ।

He took birth in a high family, but if the karma is not high, then it is the same thing as a golden pot filled with poison, it is condemned all around.

oonche kul ka janamiya, karanee oonchee na hoy .
suvarn kalash sura bhara, saadhoo ninda hoy .

हम तो मस्त फकीर, हमारा कोई नहीं ठिकाना रे।|| गोपाल दास "नीरज"||हिंदी कविता ||प्रस्तुति PoemNagari ||पाठकर्ता-किशोर

हम तो मस्त फकीर, हमारा कोई नहीं ठिकाना रे।


जैसा अपना आना प्यारे, वैसा अपना जाना रे।

रामघाट पर सुबह गुजारी


प्रेमघाट पर रात कटी


बिना छावनी बिना छपरिया


अपनी हर बरसात कटी


देखे कितने महल दुमहले, उनमें ठहरा तो समझा


कोई घर हो, भीतर से तो हर घर है वीराना रे।

हम तो मस्त फकीर, हमारा कोई नहीं ठिकाना रे।


जैसा अपना आना प्यारे, वैसा अपना जाना रे।


औरों का धन सोना चांदी

अपना धन तो प्यार रहा


दिल से जो दिल का होता है


वो अपना व्यापार रहा


हानि लाभ की वो सोचें, जिनकी मंजिल धन दौलत हो!


हमें सुबह की ओस सरीखा लगा नफ़ा-नुकसाना रे।

हम तो मस्त फकीर, हमारा कोई नहीं ठिकाना रे।


जैसा अपना आना प्यारे, वैसा अपना जाना रे।

कांटे फूल मिले जितने भी


स्वीकारे पूरे मन से


मान और अपमान हमें सब


दौर लगे पागलपन के


कौन गरीबा कौन अमीरा हमने सोचा नहीं कभी


सबका एक ठिकान लेकिन अलग अलग है जाना रे।

हम तो मस्त फकीर, हमारा कोई नहीं ठिकाना रे।


जैसा अपना आना प्यारे, वैसा अपना जाना रे।

सबसे पीछे रहकर भी हम


सबसे आगे रहे सदा


बड़े बड़े आघात समय के


बड़े मजे से सहे सदा!


दुनियाँ की चालों से बिल्कुल, उलटी अपनी चाल रही


जो सबका सिरहाना है रे! वो अपना पैताना रे!

हम तो मस्त फकीर, हमारा कोई नहीं ठिकाना रे।


जैसा अपना आना प्यारे, वैसा अपना जाना रे।




Wednesday, June 16, 2021

Jiwan-Mantra||Short Videos Series||Part-42||Kabir Das || PoemNagari || कबीर दोहे

जो इस दुनियां में आया है उसे एक दिन जरूर जाना है। चाहे राजा हो या फ़क़ीर, अंत समय यमदूत सबको एक ही जंजीर में बांध कर ले जायेंगे।

आये है तो जायेंगे, राजा रंक फ़कीर ।
इक सिंहासन चढी चले, इक बंधे जंजीर ।

The one who has come into this world definitely has to go one day. Whether it is a king or a fakir, at the end time the eunuchs will tie everyone in a single chain and take them away.

aaye hai to jaayenge, raaja rank fakeer .
ik sinhaasan chadhee chale, ik bandhe janjeer .


Jiwan-Mantra||Short Videos Series||Part-41||Kabir Das || PoemNagari || कबीर दोहे

सज्जन पुरुष किसी भी परिस्थिति में अपनी सज्जनता नहीं छोड़ते ,चाहे कितने भी दुष्ट पुरुषों से क्यों ना घिरे हों। ठीक वैसे ही जैसे चन्दन के वृक्ष से हजारों सर्प लिपटे रहते हैं लेकिन वह कभी अपनी शीतलता नहीं छोड़ता।

संत ना छाडै संतई, जो कोटिक मिले असंत ।
चन्दन भुवंगा बैठिया, तऊ सीतलता न तजंत ।

Gentle men do not give up their gentleness under any circumstances, no matter how many wicked men they are surrounded by. Just like thousands of snakes are wrapped around the sandalwood tree, but it never gives up its coolness.

sant na chhaadai santee, jo kotik mile asant .
chandan bhuvanga baithiya, taoo seetalata na tajant .

Jiwan-Mantra|| Short Videos Series||Part-40||Kabir Das|| PoemNagari||कबीर दोहे

जिसको ईश्वर प्रेम और भक्ति पाना है उसे अपना काम, क्रोध, भय और इच्छा को त्यागना होगा। लालची इंसान अपना शीश यानी काम, क्रोध, भय और इच्छा तो त्याग नहीं सकता लेकिन प्रेम पाने की उम्मीद रखता है।

प्रेम पियाला जो पिए, सिस दक्षिणा देय ।
लोभी शीश न दे सके, नाम प्रेम का लेय ।


One who wants to get God's love and devotion has to give up his lust, anger, fear and desire. A greedy person cannot give up his head i.e. lust, anger, fear and desire, but he hopes to get love.

prem piyaala jo pie, sis dakshina dey .
lobhee sheesh na de sake, naam prem ka ley .


Tuesday, June 15, 2021

Tandav|| Ramdhari Singh Dinkar||HindiKavita||PoemNagari||Recited||Kishor||Shivtandav||latestTandavpoetry


चारों तरफ त्राहिमाम है, लाशों की बौछार है यहां तक की श्मशानों में जलाने तक की जगह नहीं बची , इससे भयावह समय मानव इतिहास में पहले कभी भी नहीं देखा गया ,ऐसा प्रतीत होता है माने सृष्टि कुरूद्ध हो मानव से प्रतिशोध ले रही हो ।

तांडव
नाचो, हे नाचो, नटवर !
चन्द्रचूड़ ! त्रिनयन ! गंगाधर ! आदि-प्रलय ! अवढर ! शंकर!
नाचो, हे नाचो, नटवर !

आदि लास, अविगत, अनादि स्वन,
अमर नृत्य - गति, ताल चिरन्तन,
अंगभंग, हुंकृति-झंकृति कर थिरको हे विश्वम्भर !
नाचो, हे नाचो, नटवर !

सुन शृंगी-निर्घोष पुरातन,
उठे सृष्टि-हृद में नव-स्पन्दन,
विस्फारित लख काल-नेत्र फिर
काँपे त्रस्त अतनु मन-ही-मन ।

स्वर-खरभर संसार, ध्वनित हो नगपति का कैलास-शिखर ।
नाचो, हे नाचो, नटवर !

नचे तीव्रगति भूमि कील पर,
अट्टहास कर उठें धराधर,
उपटे अनल, फटे ज्वालामुख,
गरजे उथल-पुथल कर सागर ।
गिरे दुर्ग जड़ता का, ऐसा प्रलय बुला दो प्रलयंकर !
नाचो, हे नाचो, नटवर !


घहरें प्रलय-पयोद गगन में,
अन्ध-धूम्र हो व्याप्त भुवन में,
बरसे आग, बहे झंझानिल,
मचे त्राहि जग के आँगन में,
फटे अतल पाताल, धँसे जग, उछल-उछल कूदें भूधर।
नाचो, हे नाचो, नटवर !


प्रभु ! तब पावन नील गगन-तल,
विदलित अमित निरीह-निबल-दल,
मिटे राष्ट्र, उजड़े दरिद्र-जन
आह ! सभ्यता आज कर रही
असहायों का शोणित-शोषण।
पूछो, साक्ष्य भरेंगे निश्चय, नभ के ग्रह-नक्षत्र-निकर !
नाचो, हे नाचो, नटवर !


नाचो, अग्निखंड भर स्वर में,
फूंक-फूंक ज्वाला अम्बर में,
अनिल-कोष, द्रुम-दल, जल-थल में,
अभय विश्व के उर-अन्तर में,

गिरे विभव का दर्प चूर्ण हो,
लगे आग इस आडम्बर में,
वैभव के उच्चाभिमान में,
अहंकार के उच्च शिखर में,

स्वामिन्‌, अन्धड़-आग बुला दो,
जले पाप जग का क्षण-भर में।
डिम-डिम डमरु बजा निज कर में
नाचो, नयन तृतीय तरेरे!
ओर-छोर तक सृष्टि भस्म हो
चिता-भूमि बन जाय अरेरे !
रच दो फिर से इसे विधाता, तुम शिव, सत्य और सुन्दर !
नाचो, हे नाचो, नटवर !

 हम मानव अगर प्रकृति से समन्वय स्थापित करने में असफल रहें और लालचरुपी विशाल दानव की तरह मुंह फाड़े ऐसे ही प्रकृति से खिलवाड़ करते रहे तो वो दिन दूर नहीं की मानव प्रजाति भी विलुप्त हो जाए ।



Monday, June 14, 2021

Main kuchh likhna chahta hu|| Apne bare me ||Poetry ||Spoken words||Kishor ||PoemNagari

कुछ लिखना चाहता हूं अपने बारे में 
और उसे बार-बार पढ़ना भी चाहता हूं
 कि कुछ कमी हो तो सुधारा जा सके
 कि कुछ अधूरा हो तो उसे पूरा किया जा सके
प्रेम करना चाहता हूं इस धरा से ,
और इसकी खूबसूरती में खो जाना चाहता हूं 
जीना चाहता हूं ,
 बिना जीतने की होड़ में फंसे,
खिलना चाहता हूं,
फूलों की तरह
बिखरना चाहता हूं,
खुश्बू की तरह ,चारों ओर
सबके लिए,एक समान
तथाह संभावनाओं और चुनौतियों को कलमबद्ध करना चाहता हूं, 
कि खुद को आजमा सकूं,
इसकी पुर्जोर तीव्रता से ,
कि स्वयं को खपा सकू ,
इस क्षिति , जल ,पावक, गगन, समीर में 
एक-एक पल को शब्दों में संजोकर 
अग्नि को साक्षी मान स्वाहा करना चाहता हूं 
अपने हर एक अभिमान,
और उससे जुड़े हर एक यादों को ,
कुछ भी ना बचे,
बिल्कुल
निशब्द हो सकूं , निर्विचार, शुन्य !

Sunday, June 13, 2021

you can judge me ||I don't care || hindi Poetry || Kishor ||PoemNagari ||Kisi ko phark nhi padata || Awesome Poetry

जिधर भी जाओ चारों तरफ कोई न कोई मिल ही जाएगा जो आपको कुछ ना कुछ समझाएगा ऐसा करो वैसा करो यह मत करो वह मत करो चारों तरफ यही सुनने को मिलेगा बहुत कम आपको सुनने वाले मिलेगा आप क्या करना चाहते हो इससे किसी को कोई परवाह नहीं सब अपने ही ज्ञान देने में लगे पड़े हैं इसमें क्या कोई सीखेगा ख़ाक । बहुत कम मिलेंगे जो आपसे पुछेगे की तुम्हारा मन क्या सोचता है और फिर बोलेंगे की आप जो करना चाहता हो उसमें मैं आपकी क्या मदद कर सकता हूं ,

So 
you can judge me
I don't Care
Bz I don't know what Next coming ...
 just want to live... live ... & live.
want to accept different colours of life.. Happiness , Sorrow, Ups & Downs... easily. Want to visit each and every corner of this beautiful home planet..And beyond ....  
 Want to love the beauty of the nature and show gratitude ... For Made me a part of this.

Saturday, June 12, 2021

Ummid Jaruri Hai || Poetry ||Kishor ||PoemNagari

जब सारी दुनिया अपने ही घर में कैद है और यह भी पता नहीं है कि कब बाहर सब कुछ ठीक होगा उस समय सबसे ज्यादा उम्मीद की जरूरत होती है एक विश्वास की , और एक ऐसे एहसास की जरूरत होती है जो हिम्मत को टूटने ना दें धैर्य को मजबूती के साथ कायम रखें और उसी वक्त में अपनों के सहयोग और प्यार की भी सबसे ज्यादा जरूरत होती है , कोई भी निराशा में जाने ना पाए यह भी हमारा नैतिक जिम्मेवारी बन जाता है। विश्वास है कि आप अपना और अपनों का बहुत-बहुत ख्याल रख रहे होंगे,

इस वक्त में 
उम्मीद जरूरी है ,
बिखरते सांसो की 
थाम ले कोई डोर 
जरूरी है,
इस वक्त में 
उम्मीद जरूरी है ,
मौत के भयावह डर से
मर रहे लोग हलचल से,
होले से कंधे पे 
सहसा एक हाथ जरूरी है ,
इस वक्त में 
उम्मीद जरूरी है ,
मिले प्यार की झप्पी,
ऐसा एहसास जरूरी है,
इस वक्त में 
उम्मीद जरूरी है 

दुनिया के अधिकांश लोग इस दौर में आर्थिक और मानसिक रूप से पहले से बहुत ज्यादा कमजोर हो गए होंगे और उनको हमारी जरूरत हैं। 

Friday, June 11, 2021

Jiwan-Mantra || Short Videos Series ||Part-39 || Kabir Das || PoemNagari

कड़वे बोली बोलना सबसे बुरा काम है, कड़वे बोल से किसी बात का समाधान नहीं होता। वहीँ सज्जन के विचार और बोली अमृत के समान हैं।

कुटिल वचन सबसे बुरा, जा से होत न चार ।
साधू वचन जल रूप है, बरसे अमृत धार ।

 Speaking bitter words is the worst thing, bitter words do not solve anything. Whereas the thoughts and speech of the gentleman are like nectar.

kutil vachan sabase bura, ja se hot na chaar .
saadhoo vachan jal roop hai, barase amrt dhaar 

Jiwan-Mantra ||Short Videos Series ||Part-38 || Kabir Das || PoemNagari

 ये संसार तो माटी का है, आपको ज्ञान पाने की कोशिश करनी चाहिए नहीं तो मृत्यु के बाद जीवन और फिर जीवन के बाद मृत्यु यही क्रम चलता रहेगा।

ज्ञान रतन का जतन कर, माटी का संसार ।
हाय कबीरा फिर गया, फीका है संसार ।

This world is of the soil, you should try to get knowledge, otherwise life after death and then death after life will continue.

gyaan ratan ka jatan kar, maatee ka sansaar .
haay kabeera phir gaya, pheeka hai sansaar .

Jiwan-Mantra ||Short Videos Series ||Part-37 || Kabir Das ||PoemNagari

मक्खी पहले तो गुड़ से लिपटी रहती है। अपने सारे पंख और मुंह गुड़ से चिपका लेती है लेकिन जब उड़ने का प्रयास करती है तो उड़ नहीं पाती तब उसे अफ़सोस होता है। ठीक वैसे ही इंसान भी सांसारिक सुखों में लिपटा रहता है और अंत समय में अफ़सोस होता है।

माखी गुड में गडी रहे, पंख रहे लिपटाए ।
हाथ मेल और सर धुनें, लालच बुरी बलाय ।

The fly is first wrapped with jaggery. She sticks all her wings and mouth with jaggery, but when she tries to fly, she is unable to fly, then she feels sorry. In the same way, man also gets wrapped up in worldly pleasures and feels regret in the end times.

maakhee gud mein gadee rahe, pankh rahe lipatae .
haath mel aur sar dhunen, laalach buree balaay .

Jiwan-Mantra || Short Videos Series || Part-36 ||Kabir Das ||PoemNagari

 हे प्रभु मुझे ज्यादा धन और संपत्ति नहीं चाहिए, मुझे केवल इतना चाहिए जिसमें मेरा परिवार अच्छे से खा सके। मैं भी भूखा ना रहूं और मेरे घर से कोई भूखा ना जाये।

साईं इतना दीजिये, जामे कुटुंब समाये ।
मैं भी भूखा न रहूँ, साधू न भूखा जाए ।

Oh Lord, I don't want much money and wealth, I just want that in which my family can eat well. I too should not remain hungry and no one should go hungry from my house.

sai itana deejiye, jaame kutumb samaaye .
main bhee bhookha na rahoon, saadhoo na bhookha jae .

Thursday, June 10, 2021

Jiwan-Mantra || Short Videos Series || Part-35 || Kabir Das || PoemNagari

शांत और शीलता सबसे बड़ा गुण है और ये दुनिया के सभी रत्नों से महंगा रत्न है। जिसके पास शीलता है उसके पास मानों तीनों लोकों की संपत्ति है।

शीलवंत सबसे बड़ा सब रतनन की खान ।
तीन लोक की सम्पदा, रही शील में आन ।

Calmness and modesty are the greatest qualities and it is the most expensive gem of all the gems in the world. One who has modesty has the wealth of all the three worlds.

sheelavant sabase bada sab ratanan kee khaan .
teen lok kee sampada, rahee sheel mein aan .

Jiwan-Mantra || Short Videos Series || Part-34 || Kabir Das ||PoemNagari

 जब मृत्यु का समय नजदीक आया और राम के दूतों का बुलावा आया तो कबीर दास जी रो पड़े क्यूंकि जो आनंद संत और सज्जनों की संगति में है उतना आनंद तो स्वर्ग में भी नहीं होगा।

राम बुलावा भेजिया, दिया कबीरा रोय ।
जो सुख साधू संग में, सो बैकुंठ न होय ।

When the time of death came near and the call of the messengers of Ram came, Kabir Das ji cried because the joy that is in the company of saints and gentlemen will not be there even in heaven.

raam bulaava bhejiya, diya kabeera roy .
jo sukh saadhoo sang mein, so baikunth na hoy .

Jiwan-Mantra ||Short videos Series || Part-33 || Kabir Das|| PoemNagari

लोग बड़ी से बड़ी पढाई करते हैं लेकिन कोई पढ़कर पंडित या विद्वान नहीं बन पाता। जो इंसान प्रेम का ढाई अक्षर पढ़ लेता है वही विद्वान् है।

पोथी पढ़ पढ़ जग मुआ, पंडित भया न कोय ।
ढाई आखर प्रेम का, पढ़े सो पंडित होय ।

People study the best, but one cannot become a Pandit or a scholar by studying. The person who can read two and a half letters of love is a scholar.

pothee padh padh jag mua, pandit bhaya na koy .
dhaee aakhar prem ka, padhe so pandit hoy .

Jiwan-Mantra ||Short Videos Series || Part-32||Kabir Das || PoemNagari

चन्द्रमा भी उतना शीतल नहीं है और हिम यानी बर्फ भी उतना शीतल नहीं होती जितना शीतल सज्जन पुरुष हैं। सज्जन पुरुष मन से शीतल और सभी से स्नेह करने वाले होते हैं।


नहीं शीतल है चंद्रमा, हिम नहीं शीतल होय ।
कबीर शीतल संत जन, नाम सनेही होय ।

The moon is also not as cold and the snow is not as cold as the cool gentlemen. Gentlemen are cool in heart and loving to all.

nahin sheetal hai chandrama, him nahin sheetal hoy .
kabeer sheetal sant jan, naam sanehee hoy .

Jiwan-Mantra||Short videos Series ||Part-31 ||Kabir Das ||PoemNagari

 तू क्यों हमेशा सोया रहता है, जाग कर ईश्वर की भक्ति कर, नहीं तो एक दिन तू लम्बे पैर पसार कर हमेशा के लिए सो जायेगा।

कबीर सुता क्या करे, जागी न जपे मुरारी ।
एक दिन तू भी सोवेगा, लम्बे पाँव पसारी ।

Why are you always sleeping, wake up and worship God, otherwise one day you will spread long legs and sleep forever.

kabeer suta kya kare, jaagee na jape muraaree .
ek din too bhee sovega, lambe paanv pasaaree .

Jiwan-Mantra ||Short videos Series ||Part-30 || Kabir Das ||PoemNagari

 वे लोग अंधे और मूर्ख हैं जो गुरु की महिमा को नहीं समझ पाते। अगर ईश्वर आपसे रूठ गया तो गुरु का सहारा है लेकिन अगर गुरु आपसे रूठ गये तो दुनियां में कहीं आपका सहारा नहीं है।

कबीरा ते नर अँध है, गुरु को कहते और ।
हरि रूठे गुरु ठौर है, गुरु रूठे नहीं ठौर ।

Those people are blind and foolish who do not understand the glory of the Guru. If God gets angry with you then there is the support of the Guru, but if the Guru gets angry with you then there is no support for you anywhere in the world.

kabeera te nar andh hai, guru ko kahate aur .
hari roothe guru thaur hai, guru roothe nahin thaur .

Jiwan-Mantra ||Short Videos Series || Part-29 ||Kabir Das|| PoemNagari

जो इंसान दूसरे की पीड़ा और दुःख को समझता है वही सज्जन पुरुष है और जो दूसरे की पीड़ा ही ना समझ सके ऐसे इंसान होने से क्या फायदा।

कबीरा सोई पीर है, जो जाने पर पीर ।
जो पर पीर न जानही, सो का पीर में पीर ।

The person who understands the pain and sorrow of others is a gentleman and what is the use of being such a person who cannot understand the pain of others.

kabeera soee peer hai, jo jaane par peer .
jo par peer na jaanahee, so ka peer mein peer .

Jiwan-Mantra ||Short Videos Series || Part-28 || Kabir Das|| PoemNagari

आप कितना भी नहा धो लीजिए, लेकिन अगर मन साफ़ नहीं हुआ तो वैसे नहाने का क्या फायदा, जैसे मछली हमेशा पानी में ही रहती है लेकिन फिर भी उससे बदबू  आती ही है।

नहाये धोये क्या हुआ, जो मन मैल न जाए ।
मीन सदा जल में रहे, धोये बास न जाए ।

No matter how much you take a bath, but if the mind is not clear, then what is the use of bathing like a fish always stays in water but still it smells.

nahaaye dhoye kya hua, jo man mail na jae .
meen sada jal mein rahe, dhoye baas na jae .

Jiwan-Mantra || Short videos Series || Part-27||Kabir Das ||PoemNagari

जब मेरे अंदर अहंकार था, तब मेरे ह्रदय में हरि यानी ईश्वर का वास नहीं था। और अब मेरे ह्रदय में ईश्वर का वास है तो अहंकार नहीं है। जब से मैंने गुरु रूपी दीपक को पाया है तब से मेरे अंदर का अंधकार खत्म हो गया है।

जब मैं था तब हरी नहीं, अब हरी है मैं नाही ।
सब अँधियारा मिट गया, दीपक देखा माही ।

When I had ego, then Hari i.e. God did not reside in my heart. And now that God resides in my heart, there is no ego. Ever since I have found the lamp in the form of a Guru, the darkness within me has vanished.

jab main tha tab haree nahin, ab haree hai main naahee .
sab andhiyaara mit gaya, deepak dekha maahee .

Wednesday, June 9, 2021

Jiwan-Mantra || Short videos Series ||Part-26 || Kabir Das || PoemNagari

बीता समय निकल गया, आपने ना ही कोई परोपकार किया और ना ही ईश्वर का ध्यान किया। अब पछताने से क्या होता है, जब चिड़िया चुग गयी खेत।

पाछे दिन पाछे गए हरी से किया न हेत ।
अब पछताए होत क्या, चिडिया चुग गई खेत ।

Time has passed, you neither did any charity nor did you meditate on God. Now what happens when you repent when the bird ate the field.

paachhe din paachhe gae haree se kiya na het .
ab pachhatae hot kya, chidiya chug gaee khet .

Jiwan-Mantra || Short videos Series || Part -25 ||Kabir Das || PoemNagari

एक सज्जन पुरुष में सूप जैसा गुण होना चाहिए। जैसे सूप में अनाज के दानों को अलग कर दिया जाता है वैसे ही सज्जन पुरुष को अनावश्यक चीज़ों को छोड़कर केवल अच्छी बातें ही ग्रहण करनी चाहिए।

साधु ऐसा चाहिए जैसा सूप सुभाय।
सार-सार को गहि रहै थोथा देई उडाय।

A gentleman should have soup-like qualities. Just as grains of grain are separated in a soup, so a gentleman should leave behind unnecessary things and take only good things.

saadhu aisa chaahie jaisa soop subhaay.
saar-saar ko gahi rahai thotha deee udaay.

Jiwan-Mantra ||Short videos Series||Part-24||Kabir Das ||PoemNagari

जिस घर में साधु और सत्य की पूजा नहीं होती, उस घर में पाप बसता है। ऐसा घर तो मरघट के समान है जहाँ दिन में ही भूत प्रेत बसते हैं।

जिन घर साधू न पुजिये, घर की सेवा नाही ।
ते घर मरघट जानिए, भुत बसे तिन माही ।

Sin resides in the house where there is no worship of sage and truth. Such a house is like a marghat where ghosts and ghosts reside during the day itself.

jin ghar saadhoo na pujiye, ghar kee seva naahee .
te ghar maraghat jaanie, bhut base tin maahee .

Jiwan-Mantra || Short videos Series ||Part-23 || Kabir Das || PoemNagari

प्रेम कहीं खेतों में नहीं उगता और ना ही प्रेम कहीं बाजार में बिकता है। जिसको प्रेम चाहिए उसे अपना शीश यानी क्रोध, काम, इच्छा और भय को त्यागना होगा।

प्रेम न बारी उपजे, प्रेम न हाट बिकाए ।
राजा प्रजा जो ही रुचे, सिस दे ही ले जाए ।

Love does not grow anywhere in the fields, nor does love sell anywhere in the market. One who wants love has to give up his head i.e. anger, lust, desire and fear.

prem na baaree upaje, prem na haat bikae .
raaja praja jo hee ruche, sis de hee le jae .

जो जीवन ना बन सका ! || That Could Not Be Life ! || PoemNagari || Hindi Kavita

कविता का शीर्षक - जो जीवन ना बन सका ! Title Of Poem - That Could Not Be Life ! खोखले शब्द  जो जीवन ना बन सके बस छाया या  उस जैसा कुछ बनके  ख...